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अमेरिका-चीन टैरिफ युद्ध में भारत के सामने अवसर और चुनौतियां
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भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भूमिका बढ़ाने की तैयारी में
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अमेरिका ने भारत के उत्पादों पर 26% टैरिफ लगाया, व्यापार समझौते की तैयारी
त्वरित टिप्पणी: अखिलेश महाजन
US-China Trade War Impact on India: अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध ने वैश्विक व्यापार व्यवस्था में हलचल मचा दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ 145% तक बढ़ा दिया है। इसमें 20% फेंटेनाइल उत्पादों पर और 1% अन्य समायोजन शामिल है। जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 125% टैरिफ लगाया है और आगे किसी प्रतिक्रिया से इंकार किया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साफ कहा है कि चीन अंत तक संघर्ष करेगा और किसी से डरता नहीं है। नया टैरिफ कल से लागू होगा।
इस वैश्विक टकराव के बीच भारत के सामने बड़ा अवसर उभर रहा है। अमेरिका और यूरोपीय देश चीन के विकल्प तलाश रहे हैं। भारत इस स्थिति का फायदा उठाकर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है। इसके लिए सरकार क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (QCO) लागू करने की योजना बना रही है, ताकि चीन से आने वाले सस्ते और घटिया उत्पादों को रोका जा सके।
हालांकि भारत को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका ने भारत से आयातित कुछ उत्पादों पर 26% टैरिफ लगा दिया है। इससे भारत को सालाना करीब 7 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। इसे लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय में उच्च स्तरीय बैठक हुई। बैठक में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि जैसे अमेरिका के लिए ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति है, वैसे ही भारत के लिए ‘इंडिया फर्स्ट’ सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
भारत सरकार ने 90 दिनों की राहत अवधि का इस्तेमाल करते हुए अमेरिका के साथ आंशिक व्यापार समझौता (Partial BTA) की योजना बनाई है। इसके तहत कुछ गैर-संवेदनशील उत्पादों पर अमेरिका से टैरिफ कम करने की मांग की जा सकती है। इसके साथ ही यूरोपीय संघ और ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड डील अंतिम चरण में है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के साथ वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी होगी। इसके लिए व्यापार समझौतों, गुणवत्ता नियंत्रण और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार की दिशा में ठोस प्रयास जरूरी हैं।